सोमवार, 16 मार्च 2015

कलाकारी बंदरों की

कलाकारी बंदरों की
जंगल की एक कहानी है। जंगल के राज की कमाण्ड किसी तरह शेरों के हाथों से निकलकर बंदरों के हाथों में आ गई। एक बार जंगल का मौसम बिगड़ गया। बहुत बरसात हुई। पक्षियों के घौंसले टूटने लगे। अण्डे-बच्चे असुरक्षित हो गए। बकरी के बच्चे नाली में बहने लगे। सब परेशान होकर नए बंदर राजा के पास गए। बन्दर ने पहले तो सबको घुड़की दी। फिर मौके की नजाकत देखते हुए सबको तस्सली दी। अपने साथियों को हालात समझने को कहा। अपनी फितरत के अनुसार नए राजा सहित सभी बन्दर पेड़ों पर चढ़कर हालात का जायजा लेने लगे। बड़ी मेहनत से काफी देर तक एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक उछल-कूद करते रहे। इस बीच सब घौंसले उजड़ गए, अण्डे फूट गए अएैर बकरी के बच्चे बह गए। अब बारी आई, पेड़ों से उतर कर जंगल के जीवों को जवाब देने की। बंदरों ने हांफते हुए अपनी राजनैतिक कलाकारी दिखाई। बन्दर बोले 'देखो भाईयों! बरसात में तो हम भी आपके साथ रहे। पूरी जिम्मेदारी निभाई। हमने अपनी भागदौड़ में कोई कमी रखी हो तो कहो?

रविवार, 15 मार्च 2015

यह कैसी 'मूमल'?


इतिहास के साथ खिलवाड़
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान कला अकादमी के अठारवें कला मेले के तहत सहयोगी राजस्थान सिन्धी अकादमी के आर्ट कैम्प में मरुभूूमि के विख्यात चरित्र मूमल का चित्रण किया जा रहा है। रियलिस्टिक आर्ट शैली में बनाया जा रहा यह चित्र यह चित्र जयपुर के आर्टिस्ट जगदीश चन्द्र सांवलानी बना रहे हैं। मूमल के इस चित्र में नायिका का जो चित्रण किया गया है वो देखने वालों को मूमल की वास्तविकता से भटका कर भ्रमित करने वाला है।
इतिहास की प्रेम गाथाओं में मूमल व राणों महेन्द्रो का नाम विश्व प्रसिद्ध है। यह कहानी अखण्ड भारत के दो विभिन्न प्रदेशों और संस्कृति के राजघरानों की है। मूमल जहां जैसलमेर की राजकुमारी थी वहीं राणों महेन्द्रों सिन्ध (वर्तमान पाकिस्तान) के नगर अमरकोट के शासक थे। पिता द्वारा किसी कारणवश दण्डस्वरूप मूमल जैसलमेर से कुछ दूरी पर जंगल में बनी एक मेड़ी में निवास किया करती थीं। वहीं राणों महेन्द्रो से उनकी मुलाकात हुई।
चित्रकार ने अपने चित्र में जो मूमल के परिधान चित्रित किए हैं वो कहीं पर भी जैसलमेर के राजघराने तो क्या जैसलमेर के मूल जनजीवन से जुड़े भी नहीं हैं। मूमल का ऐसे वस्त्र विन्यास का वर्णन कहीं नहीं पाया जाता। लगभग यही हाल राणों महेन्द्रो के वस्त्र विन्यास का है। इस  चित्र को देखकर लगता है जैसे मूमल पंजाब से संबंधित थी। चित्र में मूमल की वेषभूषा और वस्त्रों में कुर्ता और लूंगी दर्शाई गई है। महेंन्द्र को भी किसी मुगल जैसा दिखाया गया है। इसी के सााि मूमल के हाथ में जो वाद्य यंत्र दिखाया गया है वह भी मूमल से संबंधित नहीं है।
पहली नजर में यह चित्रण फुटपाथों पर अज्ञात चित्रकारों द्वारा निर्मित उस अंकन जैसा है जो पोस्टर विक्रेता उमर खय्याम के चित्रों के नाम से बेचते हैं। जगदीश सावलानी का चित्रण देख कर उमर ख्य्याम के पोस्टर दिमाग में कौंध जाते हैं।
यदि मूमल की अप्रतिम सुन्दरता की बात करें तो वो भी कैम्प में बन रहे इस चित्र में नजर नहीं आती। मूमल की सुन्दरता के किस्से  सुने जाएं तो मालूम चलता है कि उसकी एक छवि पाने के लिए और उनसे विवाह करने की इच्छा लिए कई राजकुमारों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
सिन्ध में शाह लतीफ ने अपने पद्य गं्रन्थ में 'सत सूरमियूंÓ में एक सूरमी के रूप में मूमल का वर्णन किया है। राजस्थान के कहानीकारों और इतिहासकारों ने भी मूमल की सुन्दरता, वस्त्र विन्यास और आभूषणों का वर्णन किया है।
पूर्व में हुआ है उग्र विरोध
उल्लेखनीय है पिछले दिनों फरवरी में जैसलमेर में हुई 'मिस मूमलÓ प्रतियोगिता में मिस मूमल चुनी गई युवति के वस्त्र विन्यास को लेकर भी भारी विवाद हुआ था।  मिस मूमल प्रतियोगिता में चुनी गई संध्या द्वारा पहने गए वस्त्रों के रंग और आभूषण को लेकर कड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ था। विरोध इतना उग्र था कि पुलिस को उग्र भीड़ पर नियंत्रण के लिए लाठियां भांजनी पड़ी थी। ऐसे में जन भावनाओं को देखते हुए चित्रकार को मूमल की सुन्दरता, वस्त्र विन्यास और वेशभूषा के साथ मूमल द्वारा पहने जाने वाले आभूषणों का पर्याप्त अघ्ययन करने के बाद ही इस एतिहासिक चरित्र को कैनवास पर सजीव करने का प्रयत्न करना चाहिए।

Jaipur Kala Mela Day-4

सुधरा मौसम, खिल उठे चेहरे
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी के चौथे दिन मेला शुरु होने के साथ मौसम ने सुधरना शुरू कर दिया। इसके साथ ही कलाकारों के चेहरे खिलने लगे। 
पिछले दो दिनों से मौसम की मार झेल रहे कलाकारों ने धीर-धीरे अपनी- अपनी पेंटिंग्स को स्टाल्स पर डिसप्ले करना शुरू कर दिया। दिन में दो बजे तक लगभग सभी स्टॉल्स कलाकृतियों से सज चुकीं थी। रवीवार होने और मौसम सुधरने के कारण कलाप्रूमी दर्शकों की रेलमपेल चालू हो गई। चार बजे के बाद भारी संख्या में विजिटर्स के आने से बीते दो दिनों की पीड़ा हवा हो गई। कलाकारों का उत्साह देखते बनता था। 
केन्द्र की दीर्घाओं में भी कलाप्रेमियों की खासी भीड़ रही। कैम्पोुं में सृजनरत कलाकारों से अनकी कला के बारे में जानकारी लेने और लाइव डेमों देखने के लिए कला प्रेमी व विद्यार्थी पहुंचे। रंगायन के बरामदे में निर्वाचन आयोग की तरफ से मोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें ल्रभग 70 कला विद्यार्थियों और स्थापित कलाकारों ने भाग लिया।
कला मेले के तहत चौथे दिन 'कला यात्रा एक दर्पणÓ का विमोचन किया गया। यह पुस्तक 3 गुणा 4 फीट की है जो पचास कैनवास से सजी है। इसमें राजस्थान की कला यात्रा का सचित्र विवरण है।
चला उमंग का दौर
शाम 7 बजे शिल्पग्राम में ब्रज की गायकी ने रंग जमाया। लोक गीतों की धुन के साथ मेले में आए युवा कलाकारों ने जोशले अंदाज में नृत्य करते हुए समां बांध दिया। युवा कलाकारों के जोशीले नृत्य को देखकर मेले में आए विजिटर्स ने भी उनका साथ दिया।






शुक्रवार, 13 मार्च 2015

Lakan at Delhi By Kalaneri

लाखन की अठखेलियां दिल्ली में
मूमल नेटवर्क, जयपुर ।
दिल्ली के हौज खास स्थित लोकायुक्त आर्ट गैलरी (मुल्क राज आनंद सेंटर) में लाखनसिंह जाट की पेंटिंग्स प्रदर्शनी लगी है। इनमें कई सारी ऐसी पेंटिंग हैं जिन्हें लोगों की सराहना मिल चुकी है। खासकर युवा कलाकार लखन सिंह जाट की पेंटिंग पर हर किसी की विशेष नजर रहेगी। जाट की ये पेंटिंग ऊंची कीमतों में बिकती है। लखन सिंह को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें आर्ट फेयर जयपुर 2013 में बेस्ट इंस्टॉलेशन अवॉर्ड, ललित कला अकादमी का स्टेट अवॉर्ड और कला मेला जेकेके जयपुर का बेस्ट पेंटिंग अवॉर्ड शामिल है।
जयपुर की कलानेरी आर्ट गैलेरी के सहयोग से आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन नीता बूचरा ने किया। इस एग्जीबिशन की शुरुआत 13 मार्च को हुई जो 19 मार्च तक चलेगी।

Kala Mela Day-2 पानी ने खोली सांठगांठ की पोल

बरसात ने धोया जयपुर का कला मेला
पानी ने खोली सांठगांठ की पोल
संयोजक के फरमान से फैला आक्रोष
कृष्णयन में अदा हुई मशायरे की रस्म
मूमल ने दी थी वर्षा की पूर्व चेतावनी
विस्तृत समाचार के लिए देखें
मूमल नेटवर्क, जयपुर। यहां ललित कला अकादमी की तत्वावधान में चल रहे कला मेला के दूसरे दिन बरसात ने भारी तबाही मचाई। कथित वाटरप्रुफ टैंट के नीचे बने स्टॉल्स में ऊपर और नीचे से जम कर पानी आया। पानी की इस दोहरी मार से कलाकृतियां क्षतिग्रस्त हो गई। इसी के साथ बरसात ने टैंट वालों के साथ होने वाली सांठ-गांठ की बात को भी बल दिया।
मौसम का मिजाज बिगडऩे की पूर्व आशंका के अनुसार शुक्रवार को ठीक दोपहर बाद बादल उमडऩे लगे और कुछ देर में ही वर्षा होने लगी। वाटर पु्रफिंग के नाम पर स्टॉल्स के ऊपर टैंट में नाम मात्र को लगी पॉलिथिन ज्यादा देर तक पानी को नहीं रोक सकी और बेशकीमती पेंटिग्स पर  पानी टपकने लगा। कुछ ही देर में टैंट में से पानी की धार बहने लगी और कलाकृतियां तरबतर हो गयीं। कलाकार अपने काम को संभालते तब तक नीचे फर्श पर भी पानी आने लगा। देखते ही निचले इलाकों में पानी भर गया। यह निचले इलाके वह थे जो इस बार तंग गलियारों के रूप में चार अलग-अलग जगह जबरन बनवाए गए थे।
वर्षा के दौरान कलाकार अपनी कलाकृतियों को बबलशीट के टुकड़ो से ढांप कर बचाते रहे। इसके बावजूद पानी से क्षतिग्रस्त होने वाली कलाकृतियों की संख्या काफी रही। अधिकांश लोगों ने उन हट्स में लाकर भी अपना काम बचाया जो युवा या उपेक्षित कलाकारों को आवंटित किए गए है। क्षतिग्रस्त कलाकृतियों का विवरण शाम तक पूरा नहीं मिल पाया। कल सुबह स्टाल पुन: लगने के बाद स्थिति स्पस्ट हो पाएगी।
सचिव ने लिया जायजा
वर्षा बंद होने के फोरन बाद राज. ललित कला अकादमी की सचिव अनीता मीणा और आयोजन समिति की सदस्या मीनू श्रीवास्तव ने एक-एक स्टॉल पर जाकर हालात का जायजा लिया और हड़बड़ए कलाकारों का हौंसला बढ़ाया। दोनों ने सभी की समस्याओं को धर्य और सहानभति से सुना और तत्काल निवारण का आश्वासन दिया। समिति के अन्य सदस्यों या संयोजक ने अपने परिचितों के अलावा किसी का हाल जानने का जोखिम नहीं उठाया।
पहले तुकलकी फरमान
बरसात बंद होने के बाद ज्यादातर कलाकारों ने रात को पुन: वर्षा की आशंका और अपनी कलाकृतियों को फिर से प्रदर्शन योग्य बनाने के लिए जरूरी करने हेतु उन्हें घर ले जाने का मानस बनाया। ऐसे में अधिकांश लोग स्टॉल बंद करके घर जाने की तैयारी करने लगे। यह देखकर अपनी समझ के अनुसार आयोजन समिति के संयोजक ने कलाकारों को रोकने के लिए माइक से यह घोषणा करना शुरू किया कि कोई अपनी पेटिंग्स स्टॉल से नहीं उतारेगा न स्टॉल को कनात से ढकेगा। इसी के साथ यह भी कहा गया कि कोई यहां से अपनी पेंर्टिग्स बाहर नहीं ले जाएगा।
गेट पर जड़ा ताला
इसी के साथ बाहर जाने वाले गेट्स पर अकादमी के कुछ कर्मचारियों और गार्डस को तैनात कर दिया और शिल्पग्राम के पीछे वाले गेट पर ताला जड़ दिया गया। आम तौर पर वहां तैनात गार्ड आवश्यता अनुसार पूछताछ व जांच के बाद प्रतिभागियों को आने जाने देते हैं। आज वहंा तैनात गार्डस को यह निर्देश दिए गए कि कोई खोलने को कहे या चाबी की बात करे तों कहा जाए कि पहले अकादमी कर्मचारी ललित गोयल से अनुमति ली जाए। इस बीच कुछ खास लोगों को अपने चौपहिया वाहनों पर सामान लाद कर आने-जाने दिया गया। संयोजक द्वारा किए जा रहे तुकलकी एनाउंसमेंट और अकादमी कर्मचारी द्वारा गार्ड्स के साथ मिलकर की जा रही राठौड़ी के बाद माहौल बिगडऩे लगा और युवा कलाकारों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
फिर प्रभावी समझाईश
हालात को भांपते हुए अकादमी के सचिव और प्रदर्शनी अधिकारी ने स्थिति संभाली। प्रदर्शनी अधिकारी विनय शर्मा ने माइक संभाला। कलाकारों को अपनेपन का अहसास कराते हुए कहा गया कि यह किसी और का नहीं अपना सबका सामूहिक आयोजन है, इसे सभी को मिल कर सफल बनाना है, कलाकारों का  हौंसला बढ़ाते हुए कहा गया कि सभी की कलाकृतियों की सुरक्षा की जाएगी। अधिक संख्या में तिरपाल मंगवाए जाने और उनके शीध्र पहुंचने की बात भी बार-बार कही जाती रही। माइक पर प्रदर्शनी अधिकारी की चिरपरिचित और विश्वस्तनीय आवाज सुनने के बाद माहौल घीरे-धीरे सामान्य हो गया।
संशोधित समाचार 
कृष्णयन में अदा हुई मशायरे की रस्म
इस बीच ऊर्दू अकादमी की ओर से आयोजित होने वाले मशायरे की तैयारियां होने लगी। मुशायरे के लिए लगाई गई कुर्सियों पर गिने चुने श्रोता और वर्षा से गीले मंच की बदहाली देखकर आमंत्रित शायरों का मंच तक आने का न मूड नहीं बन रहा था न मौजू अशआर सूझ रहे थे। ठीक उसी समय फिर कुछ बूंदाबांदी शुरू हो गई। इस दौरान गिने चुने श्रोत्रा भी नदारत हो गए। मुशायरा रद्द होने या इसे कृष्णायन में आयोजित किए जाने की कोई घोषणा नहीं की गई। कलामेला सूत्रों के अनुसार बाद में कृष्णायन में मुशायरा हुआ, जहां शायरों ने अपने कलाम पढ़े और मुशायरे की रस्म अदा की गई।

सांठगांठ पर प्रकृति का कोप?
ऐक ओर जहां आयोजकों की अक्षमताओं को लेकर तरह-तरह की चर्चा होती रहीं वहीं आयोजन समिति से जुड़े कलाकार और सरकारी कर्मचारी कलाकार इसे भगवान की इच्छा और प्रकृति की मेहरबानी बोल कर बचने का प्रयास करते रहे। वहीं हालात से असंतुष्ट कलाकार इसे आयोजकों की अक्षमता और सांठ-गांठ उजागर करने के लिए हुआ प्रकृति का कोप कहते रहे।
कल फिर से होगी वही रौनक
अधिकांश कलाकारों ने कल नए सिरे से स्टॉल को सजाने और अपनी कलाकृतियां प्रदर्शित करने की तैयारी की है। वे कल सुबह समय से पूर्व आकर अपनी कृतियों की मरम्मत करके उन्हें फिर पहले सा रूप देने का भरसक प्रयास करेंगे। रात तक टैंक के ऊपरी हिस्सों में ठहरे पानी को निकालने के लिए टैंट हाउस के कर्मचारी जुटे हुए थे। स्टॉलों के नीचे बिछे कारपेट और दरियों को बदलने का काम कल सुबह के लिए छोड़ा गया है। टैंट वालों ने बताया कि इस आयोजन में उन्हें काफी नुक्सान हुआ है।
मूमल ने पहले ही चेता दिया था
उल्लेखनीय है कि मौसम का मिजाज और पश्चिम विक्षोभ की भविष्य वाणियों के अनुसार मूमल ने मेला आरंभ होने से पूर्व ही 13 8 14 मार्च को वर्षा और ओलावृष्टि की आशंका व्यक्त करते हुए चेतावनी दी थी। इसी समाचार में आयोजकों और कला मेले में भाग लेने के लिए आने वाले प्रतिभागी कलाकारों को सर्तक रहने और कलाकृतियों की सुरक्षा के लिए माकूल इंतजाम करने की विनम्र सलाह दी थी। जबकि आयोजकों ने इसे यह कह कर खरिज किया था कि मूमल कौन सा अंतरयामी है?
देखें वह समाचार












गुरुवार, 12 मार्च 2015

Jaipur Kala Mela Day-1

हंगामे और अव्यवस्थाओं के बीच हुआ 
कला मेला का आगाज
मूमल नेटवर्क, जयपुर। अठाहरवें कला मेले का औपचारिक उद्घाटन 12 फरवरी की शाम 5 बजे कला संस्कृति राज्य मंत्री कृष्णेन्द्र कौर के करकमलों से झण्डा रोहण व बटुकों के मंत्रोच्चार के साथ हुआ। 
इस अवसर पर कला-संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शैलेन्द्र अग्रवाल, जवाहर कला केन्द्र के महानिदेशक उमरावमल सालोदिया, राजस्थान कला अकादमी की सचिव  अनीता मीणा के साथ मेले में सम्मिलित विभिन्न अकादमियों के पदाधिकारी व कलाकार उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रमुख सचिव शैलेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि इस वर्ष के बजट में कला और संस्कृति के लिए पूर्व वर्षों से दुगनी राशि का प्रावधान रखा गया है। कला के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और राज्य का माहौल कला के अनुकूल हो रहा है। हमारा प्रयास रहेगा कि राजस्थान को कला राज्य का दर्जा मिले। मेले के बारे में उन्होंने कहा कि इस वर्ष आयोजन का आकार बढ़ाया गया, लेकिन उसके अनुरूप समय कम मिला है। अगले वर्ष जो भी कला मेला कमेटी का संयोजक होगा उसे मेले की पर्याप्त तैयारियां करनी होगी।
इससे पहले दिन में लगभग साढें 12 बजे बटुकों ने मंत्रोच्चार के साथ द्वार पूजन किया और केन्द्र के मध्यावर्ती में मल्टी मीडियाआर्ट कैम्प्स की शुरुआत हुई। कृष्णायन में सिन्धु कला संगम के अन्र्तगत सिन्धु संस्कृति से जुड़े चार विषयों पर विद्वानों ने व्याख्यान दिए, वहीं शिल्पग्राम में वेद-विज्ञान चित्र वीथिका के तहत वार्ताओं का दौर चला।
बड़ी कल्पना के कैनवास पर अव्यवस्थाओं के छींटे
इस वर्ष के कला मेले का कैनवास काफी बड़ा बुना गया है। मेले में 6 आर्ट कैम्प आयोजित किए गए हैं। संस्कृत व सिन्धु संस्कृति पर व्याखयान के साथ कवी सम्मेलन, मुशायरे व गीत-संगीत को भी शामिल किया गया है। इस बड़े आयोजन को समयबद्ध व सुचारू रूप से चला पाने में मेला कमेटी की कमजोरी पहले दिन से ही सामने आने लगी है। सुबह दस बजे मंत्रोच्चार से द्वार पूजन  दिन में एक बज कर 45 मिनट पर आरम्भ हुआ। द्वार पूजन में शामिल होने के लिए 10 बजे से मेले में आने वाले कलाकारों को ही पता नहीं चल पाया कि कब द्वार पूजन हुआ और कब आर्ट कैम्स की शुरुआत हो गई। व्यवस्थाएं अपनी मर्जी से चल रही थी और कमेटी की कृत्रिम रूप से कसी हुई कमजोर पकड़  के नतीजे एक के बाद विफलताओं के रूप में सामने आते रहे।

पहले दिन ही हंगामा
कला मेले के उद्घाटन से पहले ही अजमेर के वरिघ्ठ चित्रकार डॉ. अमित राजवंशी की पेंटिंग्स को मेला संयोजक ने यह कहकर उतरवा दिया गया कि पेंटिंग्स अश्लील हैं। मेला कमेटी के अन्य सदस्यों की समझाइश के बाद भी वो अपनी बात पर अड़े रहे। राजवंशी के साथ आए साथी कलाकारों और उनके द्वारा कला शिक्षा प्राप्त किए विद्यार्थियों को यह बात रास नहीं आई। विरोध स्वरूप कई स्टॉल्स से वरिष्ठ व युवा कलाकारों ने अपनी-अपनी पेंटिंग्स उतार मेले से बायकट करने का निर्णय लिया।
उललेखनीय है कि राजवंशी अपनी शैली में पिछले 20 वर्षों से साधनारत हैं। मेले में स्टाल अलाट करने से कई दिन पहले से मेला कमेटी कलाकार की कृतियों पर विचार-विमर्श कर पूरी संतुष्टि के बाद ही स्टाल आवंटित करती है। ऐसे में किसी कलाकार से अलाटमेंट के बाद किया गया ऐसा व्यवहार कला जगत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।
कलाकारों ने जब कला मेला कमेटी के संयोजक द्वारा किए गए इस दुर्भाग्यपूर्ण कृत्य का विरोध मूमल को दर्ज करवाया तो मूमल ने मेले में उपस्थित राज्य मंत्री और प्रमुख शासन सचिव के सामने कलाकारों के विरोध की बात रखी। प्रमुख सचिव शैलेन्द्र अग्रवाल के कलाकारों को दिए गए आश्वासन के बाद कलाकार शांत हुए।
वार्ताओं का सिमटा दायरा
सिन्धी व संस्कृत में हो रहे व्याख्यानों में श्रोताओं की संख्या बहुत कम रही। व्याख्यानों का स्तर बहुत अच्छा होने के बावजूद केवल उन्हीं लोगों ने व्याख्यानों को सुना जो अब तक इन्हे सुनते आए हैं। कला मेले और मेले में उपस्थित कलाकारों को इन आयोजन से जोडऩे या उनकी रुचि बढ़ाने का कोई विशेष प्रयत्न नहीं किया गया।
बटुक हुए परेशान
सुबह 9 बजे से द्वार पूजन के लिए आए बटुक बैठे-बैठे परेशान होते रहे और द्वार पूजन का समय आगे खिसकता रहा। सबह 9 बजे से आए बटुकों को दिन में लगभग एक बजे द्वार पूजन का अवसर मिला। इस बीच उन्हें पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं करवाया गया। बटुकों का यह हाल शाम को मेले के उद्घाटन तक रहा।





बुधवार, 11 मार्च 2015

18 Kala Mela in Jaipur

कला मेले में इन्हें आवंटित हुए स्टॉल
वनस्थली विद्यापीठ, कनोडिया कालेज, डॉ. ललित भारतीय, भावना, अमिता दासोत, प्रीति अग्रवाल, मोनिका देवी, डा.अनुपम भटनागर, वीरेन्द्र बन्नू, प्रियंका राठौड़, प्रभु वर्मा, मनीष भट्ट, अनिल मोहनपुरिया, डा. रीता पांड्ेय, सुरभि सोनी, अदिति अग्रवाल, किशनलाल खटिक, बिरघीचन्द गहलोत, मूमल, प्रसून यादव, गिरीश चौरसिया, मीनाक्षी निमीवाल, आकांक्षा दायमा, सन्त कुमार, अर्चना गुप्ता, अमित राजवंशी, विशेष पाण्छया, अजहर शेख, तसलीम जमाल, संदीप, भुवनेश्वरी राजौरिया, रूपल, डीएवी कालज अजमेर, विष्णु सैनी, शालिनी भारती, विजयेन्द्र कोटा, विक्रम सिंह मारोठिया, योगेश वर्मा, विनीत भट्टाचार्य, ममता रोकना, एच.पी. मीणा, अमित वर्मा-स्टेनी, महेश सोनी, अजीत कुमार कन्नूप्रिया राठौड़, मुकेश, गौरी शंकर सोनी, योगेन्द्र नरूका, मनोज टेलर, गोविन्द श्रीवास्तव, रेनू शर्मा-जोधपुर कालेज, गवर्नमेंट गल्र्स कालेज अजमेर, भीम उपाध्याय, नीलू कंवरिया, नंदिता कुमार, खुश नारायण जांगिड़, रामराज चौधरी, कृतिका शर्मा, प्रियंका प्रीतू, श्रेया पटौदिया, शीतल चितलांगिया, रवीकांत शर्मा माइकल, आकाश राम, हरीओम पाटीदार, मुरली चन्द्र, ज्योतिका राठौड़, प्रदीप कुमार, अनन्त कुमार, विजय कुमावत, असीम कौशिक उदयपुर की कला संस्था टकमण18 और रूपरंग कला संस्थान।

मंगलवार, 10 मार्च 2015

कला मेले की तैयारियां अंतिम दौर में


मौसम का मिजाज बिगडऩे की आकांक्षा
मूमल नेटवर्क, जयपुर। कला मेले की तैयारियां परवान पर हैं। जेकेके के शिल्पग्राम में स्टॉल्स लगभग तैयार हो चुके हैं। शहर के बाहर से आने वाले कलाकार अपनी-अपनी कृतियों के साथ आना शुरू हो गए हैं।
इस बीच मौसम विभाग की चेतावनियों ने मेले का माहौल बिगडऩे की आशंका पैदा कर दी है।
मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ वापिस सक्रिय हो गया है। अलवर में ओलावृघ्टि हो चुकी है और मौसम के बिगड़े  मिजाज ने राजधानी की तरफ बढऩा शुरू किया है। चेतावनी के अनुसार आने वाले दिनों में भारी बारिश के साथ जयपुर में ओले गिरने की संभावनाएं हैं। मौसम की चेतावनी को देखते हुए कला मेले में अपनी पेन्टिग्स सजाने वाले कलाकारों को ओलों और बारिश से अपनी अमूल्य कृतियों को सुरक्षित करने की तैयारियां पहले से कर लेनी चाहिएं।

कला मेला में पहली बार

 स्मारिका प्रकाशन, कलाविदों के लेख
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राज. ललित कला अकादमी के जयपुर मेंं होने वाले 18वें कला मेले में पहली-पहली बार होने वाली अनके बातों के क्रम में एक स्मारिका का प्रकाशन भी है । कला विषयों पर आधारित लेखों और विचारों से सजी इस स्मारिका में शहर व राज्य के चुने हुए लेखकों व कलाकारों द्वारा लिखे गए  लिखे लेख पढऩे को मिलेंगे।
कला मेले के लिए पहली बार मिले पर्याप्त बजट के चलते स्मारिका प्रकाशन की योजना बनी। अभी इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई हैं कि स्मारिका में प्रमुख रूप से कौन-कौन से चित्रकार कलम उठाने वाले हैं, लेकिन स्मारिका के लिए बड़े  पैमाने पर की जा रही तैयारियों के चलते  कला जगत को संभवत: कुछ चौंकाने वाली सौगातें मिलने जा रही है। खासकर लेखक कलाकारों को आकर्षक मानदेय और पाठकों को जानकारियां प्राप्त होंगी।

अर्जुन प्रजापति देंगे लाइव डेमो
मूमल नेटवर्क, जयपुर। इस वर्ष के 18वें कला मेले में प्रख्यात शिल्पी पद्मश्री अर्जुन प्रजापति की कला का लाइव डेमो चारों दिन देखने को मिलेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार अर्जुन प्रजापति राजस्थान के भक्तिकाल की नायिका मीराबाई की प्रतिमा को अपने सधे हुए हाथों से साकार करेंगे। वे इस डेमासेस्ट्रेशन के लिए राजस्थान ललित कला अकादमी से कोई मानदेय नहीं लेंगे। कला मेले के चार दिन वे मीराबाई की मूर्ति पर चरणबद्ध काम करेंगे। उनका यह डेमास्ट्रेशन कला विद्यार्थियों के साथ कला जिज्ञासुओं के लिए रोचक और शैक्षणिक होगा। 

कला मेले में चार भाषायी अकादमियां


भाषायी अकादमियों द्वारा प्रस्तुत कलाकार
मूमल नेटवर्क, जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित 18वें कला मेले में प्रदेश की चार भाषायी अकादमियां सक्रीय रूप से भाग ले रही हैं। इन अकादमियों की ओर से वेद विज्ञान, सिंधु संस्कृति, लोक गायन, कवि सम्मेलन व मुशायरे के साथ चित्रकला और केलीग्राफी के कैंप भी आयोजित कराए जाएंगे। इनके द्वारा प्रायोजित कैंप में शामिल होने वाले कलाकारों की सूची निम्र है।
राजस्थान संस्कृत अकादमी
वेद विज्ञान चित्रवीथिका कार्यशाला
डा. अन्नपूर्णा शुक्ला
अमित कल्ला
ऋषिकेश गोस्वामी
कनुप्रिया राठौड़
जयन्त गुप्ता
निधि पालीवाल
प्रमोद कुमार सिंह
बिलसेन्दु शील
योगेन्द्र पुरोहित
लक्ष्पण प्रसाद
विष्णु सैनी
शुभंकर बिस्वास
सचिन सांकलकर
स्वपना बिस्वास
कृघ्णा महावर
राजस्थान सिन्धी अकादमी
सिन्धु संस्कृति चित्र कार्यशाला
प्रिया परयाणी, अहमदाबाद
घन्श्याम सागर, अहमदाबाद
श्याम सुंदर राजानी, भीलवाड़ा
जगदीश सावलानी, जयपुर
राजस्थान ऊर्दू अकादमी
कैलीग्राफी आर्ट कैंप
खुशीर्द आलम
जफर रजा
मुरलीधर
अतिउल्लाह
मो. अब्दुल गफ्फार
अताउल्लाह अख्तर
अबुवक्त काजी
हरिशंकर बालामोतिया
अब्दुल गनी
मिर्जा हबीब बेग पारस

शनिवार, 7 मार्च 2015

कला मेला कैम्स के कलाकारों के नाम

18वें कला मेला कैम्स के लिए 28 कलाकारों के नाम
राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से जयपुर में आयोजित 18वें कला मेला में लगने वाले विभिन्न आर्ट कैम्स के लिए देशभर से कलाकारों का चयन किया जा रहा है। मूमल को मिली जानकारी के अनुसार कलाकारों के नामों पर अंतिम दौर का विचार चल रहा है। यहां दिए जा रहे 28 नाम उन कलाकारों के हैं जिनके भाग लेने की लगभग पूरी संभावना हैं। यह वे हैं जो राजस्थान ललित कला अकादमी, ललित कला अकादमी नई दिल्ली व पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर द्वारा आयोजित कैम्स के लिए हैं। इनके अलावा अभी राजस्थान की संस्कृत, उर्दू तथा सिंधी अकादमियों की ओर से आयोजित होने वाले आर्ट कैम्स के लिए कलाकारों के नामों पर अंतिम मोहर लगना शेष है। कलाकारों के पास प्रस्ताव भेजे गए हैं। उनकी स्वीकृति मिलने या नहीं मिलने पर अंतिम समय तक नामों पर विचार संभव है।
राजस्थान ललित कला अकादमी
सुश्री कविता नायर, नोयडा
सुश्री शोभा ब्रूटा, दिल्ली
श्री अवधेश मिश्र, लखनउ
श्री जयन्ती राबडिया, बड़ोदरा
श्री जयकृष्ण शर्मा लखनऊ
गोपी गजवानी  दिल्ली
श्री सोमनाथ मेती, कलकता
श्री शैल चौयल, उदयपुर
श्री कालीचरण गुप्ता, नई दिल्ली
श्री राम विरंजन, हरियाणा
ललित कला अकादमी नई दिल्ली
मयंक श्याम गोड़ पेन्टिग
हेमा देवी मधुबनी
दिलीप कुमार वर्लि पेन्ंिटंग
अनवर चित्रकार पटवा पेन्टिंग
प्रणव नारायण चित्रकार
सत्यनारायण सुथार, कावड़कला
कल्याणजोशी पडचित्रण भीलवाड़ा
श्याम लाल कुम्हार, मोलेला कला
कदम कलाकार, मांडणा
मोहन वर्मा, सांजी पेन्टिंग, मथुरा
पश्चिम क्षेत्र सास्कृतिक केंन्द्र
अब्बास बाटलीवाला उदयपुर
श्री विघासागर उपाध्याय जयपुर
श्री राम जैसवाल अजमेर
श्री भवानी शंकर शर्मा जयपुर
श्री गगन बिहारी दाधीच नाथद्वारा
श्री रामू रामदेव जयपुर
श्री महेश सिंह जयपुर
श्री गौरी शंकर सोनी जयपुर