शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

कन्टेम्पररी के साथ परम्परा को दर्शा रहा अंतर्राष्ट्रीय कला मेला

कन्टेम्पररी के साथ परम्परा को दर्शा रहा अंतर्राष्ट्रीय कला मेला
मेले का सातवां दिन
मूमल नेटवर्क, नई दिल्ली। 4 फरवरी से आरम्भ हुए ललित कला अकादमी आयोजित पहले अंतर्राष्ट्रीय कला मेले में कलाकारों व कला प्रेमियों की रेलमपेल बनी हुई है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में चल रहे 15 दिवसीय मेले में कन्टेम्पररी व मॉडर्न पेंटिंग्स के साथ भारत के कोने-कोने से आई पारम्परिक कलाकृतियां भी अपना आकर्षण बनाये हुए हैं।
कला मेले में  टेराकोटा, मिथिला, मधुबनी, गोंड, केरल की भित्ति चित्रकारी, लाख चित्रकारी, पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर और त्रिपुरा की परम्परागत चित्रकारी मेले में पारंपरिक कला के आकषर्ण को बनाये हुए हैं।
अकादमी के चेन्नई सेंटर के स्कॉलर चगंती दुर्गा प्रसाद की टेराकोटा कृतियां लोगों का मन मोह रही हैं। लाख की अनुपम चित्रकारी करने वाले इकलौते कलाकार उडीसा के दास अपनी कला के जरिये मेले में छाये हुए हैं। भारतीय लोक परम्पराओं का नजारा दर्शाती कृतियों के मध्य सोने के वर्कों से बनी मशहूर दक्षिण भारतीय कला तंजोर पेंटिंग भी लोगों का ध्यान खींच रही है।
भारतीय कलाकारी के विविध रंगों के बारे में बात करते हुए ललित कला अकादमी प्रशासक सी.एस. कृष्णा शेट्टी ने कहा कि, भारत कला और कलाकारों का देश है। हमारी कोशिश रहती है कि भारत की हर कला को उचित मान-सम्मान मिले। हमें अत्यंत ख़ुशी है कि अंतर्राष्ट्रीय कला मेले के माध्यम से हम अपनी कोशिशों में काफी हद तक कामयाब हो रहे हैं।
कल मेले के सांतवें दिन भी विद्यार्थियों के बीच पेंटिंग प्रतियोगिता का दौर चला। पेपर माशे वर्कशॉप में  विनोदी गर्ग ने लोगों के बीच इस कला का जीवन्त प्रदर्शन किया और कला की बारीकियां सिखाईं। कल मेक्सिकन फिल्म अ मायग्रांटस जर्नी की स्क्रीनिंग की गई। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अकादमी की प्रस्तुति द ट्रोथ-उसने कहा था का मंचन किया गया। यह मंचन चंद्रधर शर्मा गुलेरी लिखित उक प्रेम कहानी का नाट्य रूपान्तरण था।
18 फरवरी तक चलने वाले इस कला मेले में विदेशी कलाकारों ने भी महत्पूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें अधिक संख्या दक्षिण एवं लैटिन अमेरिकी देशों के कलाकारों की है। पेरू के स्टॉल में पेरू की जनजातियों को लेकर चित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। इसमें वहां की जनजातियों को पहनावे, रहन-सहन और सांस्कृतिक प्रतीकों को दर्शाया गया है।  पेरू की लोककलाओं और पेरू के इतिहास की जानकारी का भी प्रदर्शन किया गया है। लगभग 30 स्टॉल्स पर विदेशी कलाकार अपनी कला का प्रदर्श कर रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से चीन, वेनेजुएला, पेरू, पुर्तगाल, श्रीलंका, पौलेंड, ट्यूनिशिया, मैक्सिको, बांग्लादेश, िफजी, पापुआ न्यूगिनी, यूके, स्पेन, ब्राजील के कलाकारों की कृतियां सराही जा रही हैं।

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